दिवाली क्या है ? दिवाली कब मनाते है ? दिवाली के दिवाली 2020 तिथि और शुभ मुहूर्त (diwali 2020 date time muhurat)
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दिवाली क्या है ?
दिवाली के दिन भगवान श्री गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा क जाती है। दिवाली के आने पाहिले घर की सारी साफ सफाई अच्छी तरह से की जाती है। और बड़े उत्साह के साथ दिवाली के दिन गणेश और माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है।
घर में और सारे परिसर में दीपो को जलाकर भगवान का स्वागत किया जाता है। दिवाली को दीपो का उत्सव कहा जाता है।
हिन्दू पुराणों के अनुसार भगवान राम और माता सीता अयोघ्या आये थे।उस समय उनका स्वागत और उनके आने की खुशी में शहर के लोगो ने दीपो को जलाकर उनका स्वागत किया था। उसी दिन से दिवाली को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है।
इस वर्ष की दिवाली की तारीख 14 नवम्बर को मनाई जाएगी। दिवाली २०२० के शुभ दिनों की भी बारे में भी आज जानेगे।
2020 दिवाली तिथि और उसका शुभ मुहर्त के बारे थोड़ा —-
दिवाली की तारीख– १४ नवम्बर २०२०
दिवाली की तिथि शुरू होने का समय – 14 नवम्बर २०२० दोपर को २ बजाकर १७ मिनिट में से चालू होता हे।
ख़तम – अगले दिन सुबह १० बजकर ३६ मिनिट में समाप्त होगा।
लक्ष्मी पूजा का टाइम –
शाम ५ बजकर २८ मिनिट से शुरू हो कर ७ बजकर २४ मिनिट तक ( १४ नवम्बर २०२० )
प्रदोष काल – शाम ५ बजकर २८ मिनिट से ८ बजकर ०७ मिनिट तक रात को
वृषभ काल – शाम ५ बजकर २८ मिनिट से रात ७बजकर २४ मिनिट तक रहेगा।
दिवाली का महत्व क्या है ?
पुराणों में कहा हे की जब भगवन राम रावण का वध कर कर अयोधया लोटे तो लोगो ने उनका स्वागत दीपो को जलाकर एक उत्सव जवसा मनाया था। भगवान श्री राम के इसी दिन को लोग हर साल दीपो को जलाकर मानते है।
दिवाली के दिन अपने घरो को साफ कर कर उसे सजाते हे रंगोली से और दीपो को जलाकर सरे घर में रोशनी करते हे। उसी के साथ माता लक्ष्मी का स्वागत करते है। भगवान गणेश की भी पूजा करते है। एक दूसरे को दिवाली की शुभ कामनाये भी देते हे। दिवाली को बड़े धूम धाम से मनाते है। पटाके जलाकर और दियोंको जलाकर दिवाली को मनाते है।
गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करकर और खीर और प्रसाद बताकर लोग एक दूसरे को दिवाली की शुभ कामना देते है। उसके साथ घर जे सदस्य पटाके भी जलाते हे बड़ी उत्सव के साथ दिवाली को मनाते है। सारे शुभ काम इस दिन से शुरू करते हे अपने धन की पूजा करते है।
दिवाली के दिन पूजा केसे करते है ? विधि क्या है ?
- दिवाली के दिन भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
- इस दिन घर के सभी लोग श्याम के समय नए कपडे पहनकर भगवान की पूजा करते है।
- इसके बाद एक चौकी पर गंगा जल डालकर लाल रंगा का कपडा डालकर उस पर भगवन की पूजा करते है।
- कपडा डालने के बाद खिले और बताशे के ऊपर भगवन गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा की स्तापना करते है। उसके साथ ही कुबेर की पूजा की जाती है।
- कुबेर की प्रतिमा स्थापना करने के बाद में उसके साथ कलश की भी स्थापन की जाती है .उस पर स्वस्तिक निकलकर कलश में आप के पते और उस पर नारियल को चढ़ाते है।
- कलश स्थापित हों के बाद उस पर पांच मेवा , गुड़,पूल,मिठाई ,घी ,कमल का पुल , खिल और बतशे का प्रसाद भगवन को चढ़ाते है।
- उसके बाद आपने घर के सोने के चांदी के सामान और पैसे पूजा के सामने रखकर उसकी पूजा करते है।
- ये सभी चीजे रखने के बाद घी और तेल का दिया जलाकर और परंपरा के नुसार गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करते है।
- माता लक्ष्मी के मंत्र का जप करते है। साथ ही श्श्री गणेश का मंत्र भी जपते है।
- पूजा सम्पन होने के बाद आपने घर के आंगन के मुख्या द्वार पर तेल की दीपक जलाकर ओर उसके साथ अपने तिजोरी पर भी एक दीपक जलकर रखे।
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